ABCL-ABFL Merger: आदित्य बिड़ला कैपिटल में होगा आदित्य बिड़ला फाइनैंस का विलय, Mutual Funds and Share वालो को क्या बेनिफ्ट होगा जाने पूरी खबर
11 मार्च को आदित्य बिड़ला कैपिटल लिमिटेड के निदेशक मंडल ने “एक बड़ी एकीकृत ऑपरेटिंग एनबीएफसी बनाने” के लिए अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, आदित्य बिड़ला फाइनेंस लिमिटेड के विलय को मंजूरी दे दी। कंपनी ने एक एक्सचेंज अधिसूचना में कहा कि यह विलय विनियामक अनुमोदन के अधीन है।
समूह ने बयान में कहा कि योजना प्रभावी होने पर, विशाखा मुल्ये एमडी और सीईओ के रूप में भूमिका निभाएंगी और राकेश सिंह एकीकृत कंपनी के कार्यकारी निदेशक और सीईओ (एनबीएफसी) के रूप में भूमिका निभाएंगे।
कंपनी ने विज्ञप्ति में कहा कि समामेलन पूरा होने के बाद, आदित्य बिड़ला कैपिटल एक होल्डिंग कंपनी से एक ऑपरेटिंग गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (एनबीएफसी) में परिवर्तित हो जाएगी। साथ ही, इससे अधिक वित्तीय ताकत और लचीलेपन के साथ एक एकीकृत बड़ी इकाई का निर्माण होगा जो पूंजी तक सीधी पहुंच को सक्षम बनाएगी, कंपनी ने कहा।
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) आदित्य बिड़ला फाइनैंस सर्विसेज (ABFL) का विलय उसकी मूल कंपनी आदित्य बिड़ला कैपिटल (ABCL) में किया जाएगा, जिससे एक बड़ी एकीकृत NBFC बन सके। इससे कुल पूंजी पर्याप्तता करीब 150 आधार अंक बढ़ जाएगी और प्रोफार्मा के आधार पर एकीकृत इकाई के लिए बाह्य देनदारी का स्तर घटकर करीब 4.15 फीसद तक रह जाएगा।
प्रस्तावित विलय भारतीय रिजर्व बैंक के आकार पर आधारित नियमन के अनुपालन के मकसद से किया जा रहा है। एबीसीएल ने एक बयान में आज कहा कि इसके तहत 30 सितंबर 2025 तक आदित्य बिड़ला फाइनैंस की सूचीबद्धता अनिवार्य है। यह विलय आवश्यक नियामकीय व अन्य मंजूरियों के बाद होगा।
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमारमंगलम बिड़ला ने कहा कि वित्तीय सेवा का कारोबार बढ़ा है और यह आदित्य बिड़ला समूह की वृद्धि का इंजन बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विलय आदित्य बिड़ला कैपिटल का कारोबार बढ़ाने के लिए एक मजबूत पूंजी आधार तैयार करेगा और यह भारत की वृद्धि में भागीदार बनेगा।
यह दूसरा मौका है, जब एनबीएफसी क्षेत्र में इस तरह का विलय हो रहा है। इसके पहले टाटा कैपिटल फाइनैंशियल सर्विसेज का विलय उसकी मूल कंपनी टाटा कैपिटल में 1 जनवरी 2024 से कर दिया गया था। टाटा कैपिटल होल्डिंग कंपनी है, जिसे अभी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना है।
बिड़ला में इस विलय के बाद विशाखा मुलये प्रबंध निदेशक (MD) एवं मुख्य कार्याधिकारी (CEO) और राकेश सिंह कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ (NBFC) का कार्यभाल संभालेंगे। इस समय मुलये एबीसीएल की सीईओ और राकेश सिंह आदित्य बिड़ला फाइनैंस के एमडी और सीईओ हैं।
एबीसीएल ने जब 3,000 करोड़ रुपये की राशि जुटाई थी तो इसकी मुख्य कार्याधिकारी विशाखा मुलये ने एक एनॉलिस्ट कॉल में कहा था कि यह 18 से 24 महीनों के लिए पर्याप्त होगा। इसलिए ऐसा लगता है कि कंपनी दिसंबर 2024 या ज्यादा से ज्यादा 2025 तक पैसा जुटाने के लिए बाजार में आएगी।
कंपनी ने कहा है कि इस विलय से हिस्सेदारों के मूल्य में वृद्धि, युक्तिसंगत बनने और समूह के ढांचे के सरल होने, वित्तीय स्थिरता में सुधार और परिचालन कुशलता में वृद्धि की उम्मीद है।
31 दिसंबर, 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक आदित्य बिड़ला कैपिटल के प्रबंधन के तहत संपत्ति करीब 4.1 लाख करोड़ रुपये है। इसके द्वारा दिया गया कुल कर्ज 1.15 लाख करोड़ रुपये, जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा कारोबार में सकल प्रीमियम 13,500 करोड़ रुपये है। अप्रैल-दिसंबर 2023 के दौरान (वित्त वर्ष 2024 के शुरुआती 9 महीनों में) इसका समेकित राजस्व 26,791 करोड़ रुपये और कर के बाद मुनाफा 2,090 करोड़ रुपये रहा है।
31 दिसंबर, 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी की देश भर में सभी कारोबार में 1,462 शाखाएं हैं।
विलय के क्या लाभ हैं?
एक विलय या अधिग्रहण अक्सर एक मजबूत कॉर्पोरेट रणनीति के आवश्यक पहलुओं को पूरा करता है, जिसके परिणामस्वरूप एक या दोनों उद्यमों के लिए जबरदस्त लाभ होता है।
बाजार हिस्सेदारी को मजबूत करना। …
नये बाज़ारों में प्रवेश. …
प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना. …
नई प्रौद्योगिकियों तक पहुंच प्राप्त करना। …
बचत लागत. …
राजस्व और विकास को बढ़ावा देना।