Target Maturity Funds : टारगेट मैच्योरिटी फंड्स क्या होते हैं? कम जोखिम, बेहतर रिटर्न
मैच्योरिटी फंड (TMF)क्या है?
टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स खुले प्रकार के फंड हैं, इसका मतलब है कि निवेशक अपने निवेश को किसी भी समय वापस प्राप्त कर सकते हैं। इससे निवेशकों को लाभान्वित होता है और जब चाहें तो वे अपने धन को प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, फंड से बाहर जाते समय पूंजी लाभ कर के प्रभाव को निवेशकों को देखना चाहिए।
ब्याज दरें अभी चढ़ी हुई हैं मगर 2024 की दूसरी छमाही तक उनमें गिरावट शुरू होने का अनुमान है। ऐसे में निवेशक बढ़िया यील्ड हासिल करने अथवा पूंजीगत लाभ कमाने के लिए टारगेट मैच्योरिटी फंड (टीएमएफ) आजमा सकते हैं।
आदित्य बिड़ला सन लाइफ ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) के को-हेड (फिक्स्ड इनकम) कौस्तुभ गुप्ता उम्मीद जताते हैं कि 2024 के मध्य में केंद्रीय बैंक अपने रुख में ढील देना शुरू कर देगा। इसीलिए टीएमएफ में निवेश से आकर्षक यील्ड हासिल करने का उन्हें यह सही समय लगता है।
फंड्सइंडिया के उपाध्यक्ष और शोध प्रमुख अरुण कुमार भी कहते हैं, ‘ब्याज दरों में नरमी आने पर डेट फंड का रिटर्न चढ़ता है और दरें चढ़ने पर घटता है। अगर आपको लगता है कि दरें घटेंगी तो पांच साल से अधिक अवधि के टारगेट मैच्योरिटी फंड आपके लिए अच्छा मौका हो सकते हैं।’
1 साल में म्यूचुअल फंड कितना रिटर्न देता है?
लंबी अवधि में कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स हैं, जिनका रिटर्न औसतन 7 से 12 फीसदी तक सालाना रहा है. उनका है कि म्यूचुअल फंड में निवेश जितना जल्दी शुरू किया जाए, उसका फायदा उतना ही निवेशकों को होता है. हालांकि, यह हमेशा ध्यान रखें कि इसमें भी निवेश पर बाजार का जोखिम रहता है.
टीएमएफ परिपक्वता की तय तारीख वाले बॉन्ड फंड हैं। आम तौर ये उस बॉन्ड इंडेक्स पर चलते हैं, जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और बढ़िया सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) के बॉन्ड तथा एएए रेटिंग वाली कंपनियों के बॉन्ड होते हैं।
टारगेट मैच्योरिटी फंड की मैच्योरिटी पर क्या होता है?
लक्ष्य परिपक्वता निधि आमतौर पर निष्क्रिय रूप से प्रबंधित की जाती है, जहां बांड में निवेश किया जाता है। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, टीएमएफ एक परिपक्वता अवधि के साथ आते हैं, जिसके बाद (सैद्धांतिक रूप से), निवेशकों को ब्याज और मूलधन वापस कर दिया जाता है ।
म्यूचुअल फंड कितने साल तक रखना चाहिए?
जिन निवेशकों का वित्तीय लक्ष्य 10 साल बाद पूरा होना है, वे इस तरह की म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश कर सकते हैं। ये म्यूचुअल फंड स्कीम डेट सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. छोटी अवधि के वित्तीय लक्ष्य पूरे करने के लिए निवेशक इनमें निवेश कर सकते हैं। 5 साल से कम अवधि के लिए इनमें निवेश करना ठीक है।
फंड मैनेजर का पोर्टफोलियो उसी इंडेक्स के हिसाब से होता है और बॉन्ड परिपक्वता तक रखे जाते हैं। उन पर मिलने वाला ब्याज भी सूचकांक में मौजूद बॉन्डों के साथ परिपक्व होने वाले बॉन्डों में निवेश कर दिया जाता है। टारगेट मैच्योरिटी फंडों की मियाद कुछ महीनों से 10 साल तक हो सकती है।
इन फंडों में कई फायदे हैं – कम एक्सपेंस रेश्यो, फंड मैनेजर का जोखिम नहीं और क्रेडिट जोखिम भी नहीं। गुप्ता बताते हैं, ‘लगभग सभी टारगेट मैच्योरिटी फंडों में सरकारी बॉन्ड, राज्य विकास ऋण (एसडीएल) और एएए बॉन्ड ही होते हैं। इसलिए इनमें क्रेडिट एवं तरलता का जोखिम बहुत कम होता है। अगर ये फंड परिपक्वता तक रखे जाएं तो दरें घटने-बढ़ने का जोखिम भी खत्म हो सकता है।’
टीएमएफ में रिटर्न का अनुमान पहले से ही लगाया जा सकता है। कुमार का कहना है कि परिपक्व होने तक इनमें निवेश रखा जाए तो रिटर्न शुद्ध यील्ड के आसपास ही होगा। फिलहाल ब्याज दरें चरम के करीब हैं, इसलिए टीएमएफ निवेशकों को मौजूदा बॉन्ड यील्ड दिला सकते हैं। साथ ही पूंजीगत लाभ भी मिल सकता है।
निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट्स) अमित त्रिपाठी भी बताते हैं, ‘परिपक्व होने तक निवेश रखा जाए तो टारगेट मैच्योरिटी फंड आपको लगभग वही यील्ड देंगे, जो निवेश के समय थी। ब्याज दरें गिरने पर भी आप निवेश बनाए रखते हैं और तेजी होने पर बॉन्ड बेच देते हैं तो मझोली से लंबी अवधि में अतिरिक्त रिटर्न भी मिल सकता है।’
मगर सावधि जमा (एफडी) के मुकाबले ये बेहत हैं या कमतर? बड़े वाणिज्यिक बैंक 1 से 3 साल की एफडी पर लगभग 7 फीसदी ब्याज दे रहे हैं। मगर लंबी अवधि के टारगेट मैच्योरिटी फंड इससे ज्यादा शुद्ध यील्ड देते हैं।
इन फंडों में आपको आपको तरलता का भी फायदा मिलता है। गुप्ता समझाते हैं, ‘ओपन-एंडेड होने के कारण इन फंडों को किसी भी समय खरीद या बेच सकते हैं। इससे आपात स्थिति में आप बिना जुर्माना टीएमएफ से रकम निकाल सकते हैं। अगर आप एफडी बीच में तुड़वाते हैं तो आपको कम ब्याज मिलेगा। इसके अलावा आपको जुर्माना भी देना पड़ सकता है।’
टारगेट मैच्योरिटी फंड में आपको पूंजीगत लाभ भी मिल सकता है। कुमार का कहना है कि ब्याज दरों में कमी के दौर में लंबी अवधि वाले टीएमएफ आपको एफडी से ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं। मगर इन दोनों पर मिलने वाला ब्याज कर के दायरे में आता है।
सवाल यह है कि सही टारगेट मैच्योरिटी फंड कैसे चुना जाए? निवेशकों को उन टीएमएफ में निवेश करना चाहिए, जो उतने समय में ही परिपक्व हों, जितने समय तक वे निवेश रखना चाहते हैं। अगर आप तीन साल के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो वे फंड ही चुनें, जो अगले तीन साल में परिपक्व हो रहे हों।
अधिक जोखिम लेने की क्षमता वाले निवेशक लंबी अवधि वाले टारगेट मैच्योरिटी फंड में निवेश कर सकते हैं और ब्याज दरें गिरने पर पूंजीगत लाभ लेने के बाद उन्हें बेच सकते हैं। मगर ऐसा करने पर ब्याज दरों का जोखिम हो सकता है।