World Cancer Day 2024: क्यों मनाया जाता है? क्या आहार में बदलाव करके कम कर सकते हैं कैंसर का खतरा, खुद जाने व् दूसरो को भी बताये
विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस, 2008 में लिखे गए विश्व कैंसर घोषणा के लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (यूआईसीसी) के नेतृत्व में कार्यरत है।
कैंसर वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर और जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। कई प्रकार के कैंसर के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ये बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित करने वाली हो सकती है, यहां तक कि बच्चों को भी इसका शिकार पाया जा रहा है। आनुवांशिकता और पर्यावरणीय कारकों के अलावा लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी भी इस रोग के खतरे को बढ़ाने वाली मानी जाती है।
वैश्विक स्तर पर बढ़ते कैंसर के जोखिमों को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस के इस साल का थीम है “क्लोज द केयर गैप” है। यह विषय दुनियाभर में मौजूद कैंसर देखभाल में असमानताओं पर प्रकाश डालता है।
विश्व कैंसर दिवस की थीम क्या है?
वैश्विक स्तर पर बढ़ते कैंसर के जोखिमों को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस के इस साल का थीम है “क्लोज द केयर गैप” है। यह विषय दुनियाभर में मौजूद कैंसर देखभाल में असमानताओं पर प्रकाश डालता है
कैंसर दिवस किसकी याद में मनाया जाता है?
विश्व कैंसर दिवस क्यों मनाया जाता है? (Why is World Cancer Day celebrated) हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। यूआईसीसी का उद्देश्य 2008 में लिखे गए विश्व कैंसर घोषणा का समर्थन करना है। इस दिवस को मनाने का प्राथमिक उद्देश्य कैंसर रोगियों की संख्या को कम करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर को कम करना है।
कैंसर की खोज और इतिहास, कैंसर का जनक कौन है?
कैंसर शब्द की उत्पत्ति का श्रेय यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स (460-370 ईसा पूर्व) को दिया जाता है। इन्हें “चिकित्सा का जनक” भी माना जाता है।
भारत में कितने कैंसर है?
2020 में 1.93 करोड़ नए कैंसर मरीज सामने आए हैं, जिनमें 14 लाख से अधिक भारतीय हैं। इतना ही नहीं, भारत में सालाना बढ़ते कैंसर मामलों के चलते 2040 तक इनकी संख्या में 57.5 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की आशंका है।
डॉक्टर कहते हैं, सभी लोगों को कैंसर से बचाव के लिए निरंतर प्रयास करते रहने की आवश्यकता है। क्या आहार में बदलाव से लाभ पाया जा सकता है, आइए जानते हैं।
कैंसर के जोखिम कारक
अध्ययनकर्ता बताते हैं, कैंसर के कई कारक हो सकते हैं। जिन लोगों के परिवार में किसी को पहले भी कैंसर रह चुका है, उनमें आनुवांशिक रूप से इस रोग का खतरा अधिक हो सकता है। इसके अलावा कुछ पर्यावरणीय कारक जैसे रसायनों का अधिक संपर्क, माइक्रोप्लास्टिक का संपर्क, धूम्रपान और शराब के सेवन के कारण भी आपमें कैंसर विकसित होने का जोखिम अधिक हो सकता है।
इतना ही नहीं, कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से भी इस रोग का खतरा बढ़ते हुए देखा गया है, जिससे भी बचाव करते रहना जरूरी है।
प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ हो सकते हैं हानिकारक
अध्ययनकर्ताओं की एक टीम ने बताया, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ जिनमें चीनी की मात्रा अधिक और फाइबर-पोषक तत्वों की मात्रा कम होती है, इनके भी अधिक सेवन से कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।
विशेष रूप से, शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिस आहार से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता है, उसके अधिक सेवन से पेट, स्तन और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा अधिक देखा जाता है। 47,000 से अधिक वयस्कों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने हाई प्रोसेस्ड कार्ब्स वाला आहार खाया, उनमें कोलन कैंसर और इसके कारण मृत्यु की आशंका उन लोगों की तुलना में लगभग दोगुनी थी, जिन्होंने इस तरह की चीजों का सेवन कम किया।
एंटीऑक्सीडेंट खाद्य पदार्थों का करें सेवन
शोधकर्ता कहते हैं, जहां कुछ खाद्य पदार्थ कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले पाए गए हैं, वहीं कुछ चीजों के सेवन से इसका जोखिम कम भी किया जा सकता है। वैसे तो ऐसा कोई भी सुपरफूड नहीं है जो कैंसर को रोक सके पर कुछ चीजों में एंटी-कैंसर गुण होते हैं जिससे आप अपने खतरे को कम जरूर कर सकते हैं। अवलोकन संबंधी अध्ययनों में पाया गया कि हरी-रंग बिरंगी सब्जियों के अधिक सेवन को कैंसर का खतरा कम किया जा सकता है।
कई सब्जियों में कैंसर से लड़ने वाले एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोकेमिकल्स होते हैं। उदाहरण के लिए, ब्रोकली, फूलगोभी और पत्तागोभी सहित क्रूसिफेरस सब्जियों में सल्फोराफेन होता है, इसे चूहों में ट्यूमर के आकार को 50% तक कम करने वाला पाया गया है।
कैंसर होने के संभावित कारण
धूम्रपान-सिगरेट या बीडी, के सेवन से मुंह, गले, फेंफडे, पेट और मूत्राशय का कैंसर होता है।
तम्बाकू, पान, सुपारी, पान मसालों, एवं गुटकों के सेवन से मुंह, जीभ खाने की नली, पेट, गले, गुर्दे और अग्नाशय (पेनक्रियाज) का कैंसर होता है।
शराब के सेवन से श्वांस नली, भोजन नली, और तालु में कैंसर होता है।
धीमी आचॅं व धूंए मे पका भोजन (स्मोक्ड) और अधिक नमक लगा कर संरक्षित भोजन, तले हुए भोजन और कम प्राकृतिक रेशों वाला भोजन(रिफाइन्ड) सेवन करने से बडी आंतो का कैंसर होता है।
कुछ रसायन और दवाईयों से पेट, यकृत(लीवर) मूत्राशय के कैंसर होता है।
लगातार और बार-बार घाव पैदा करने वाली परिस्थितियों से त्वचा, जीभ, होंठ, गुर्दे, पित्ताशय, मुत्राशय का कैंसर होता है।
कम उम्र में यौन सम्बन्ध और अनेक पुरूषों से यौन सम्बन्ध द्वारा बच्चेदानी के मुंह का कैंसर होता है।
आहार में शामिल कर सकते हैं ये चीजें
अध्ययनकर्ता बताते हैं, कोई भी खाद्य पदार्थ आपको कैंसर से बचाने की गारंटी तो नहीं है पर एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण वाली चीजें आपको सुरक्षित रखने में सहायक जरूर हो सकती हैं। शोध में पाया गया है कि अलसी के बीज का सेवन कुछ कैंसर के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव से संबंधित हो सकता है, इसे कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को भी कम करने में भी लाभकारी पाया गया है। इसी तरह कुछ टेस्ट-ट्यूब और पशु अध्ययनों में पाया गया है कि दालचीनी में भी कैंसर-रोधी गुण हो सकते हैं। नियमित रूप से नट्स खाने से भी कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
कुछ आम तौर पर पाये जाने वाले कैंसर
पुरूषः- मूंह, गला, फेंफडे, भोजन नली, पेट और पुरूष ग्रन्थी (प्रोस्टेट)
महिलाः- बच्चेदानी का मुंह, स्तन, मुंह, गला, ओवरी
कैंसर से बचाव के उपाय
धूम्रपान, तम्बाकु, सुपारी, चना, पान, मसाला, गुटका, शराब आदि का सेवन न करें।
विटामिन युक्त और रेशे वाला ( हरी सब्जी, फल, अनाज, दालें) पौष्टिक भोजन खायें।
कीटनाशक एवं खाद्य संरक्षण रसायणों से युक्त भोजन धोकर खायें।
अधिक तलें, भुने, बार-बार गर्म किये तेल में बने और अधिक नमक में सरंक्षित भोजन न खायें।
अपना वजन सामान्य रखें।
नियमित व्यायाम करें नियमित जीवन बितायें।
साफ-सुथरे, प्रदूषण रहित वातावरण की रचना करने में योगदान दें।
प्रारम्भिक अवस्था में कैंसर के निदान के लिए निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान दें
मूंह में सफेद दाग या बार-बार होने वाला घाव।
शरीर में किसी भी अंग या हिस्से में गांठ होने पर तुरन्त जांच करवायें।
महिलायें माहवारी के बाद हर महीने स्तनों की जॉंच स्वयं करे स्तनों की जॉंच स्वयं करने का तरीका चिकित्सक से सीखें।
दो माहवारी के बीच या माहवारी बन्द होने के बाद रक्त स्त्राव होना खतरे की निशानी है पैप टैस्ट करवायें।
शरीर में या स्वास्थ्य में किसी भी असामान्य परिवर्तन को अधिक समय तक न पनपने दें।
नियमित रूप से जॉंच कराते रहें और अपने चिकित्सक से तुरन्त सम्पर्क करें।
याद रहे- प्रारम्भिक अवस्था में निदान होने पर ही सम्पूर्ण उपचार सम्भव है।
स्त्रोत: स्वास्थ्य विभाग, झारखण्ड सरकार
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। Flashnews247 लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।